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ब्रह्मचर्य का पालन करने से पहले कहानी सुने

 ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले ये कहानी जरूर सुने | Motivational Story of Brahmacharya 

 दोस्तों यह कहानी आपको बिल्कुल भी मिस नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह कहानी आपकी सोच में बड़ा परिवर्तन लाएगी और ब्रह्मचर्य यात्रा में आपकी मदद करेगी एक युवक ने विवाह के 2 साल बाद परदेश जाकर व्यापार करने की इच्छा पिता से कही पिता ने आज्ञा दी तो वह अपनी गर्भवती पत्नी को मां-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार करने चला गया परदेश में खूब मेहनत से बहुत धन कमाया और वह धनी सेठ बन गया 10 वर्ष धन कमाने में बीत गए तो संतुष्टि हुई और उसकी वापस घर लौटने की इच्छा हुई पत्नी को पत्र लिखकर उसने अपने आने की सूचना दे दी और जहाज में बैठ गया उसे जहाज में एक ऐसा व्यक्ति मिला 

जो बहुत दुखी मन से बैठा था जब सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया कि इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नहीं है मैं यहां ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर कोई लेने को तैयार नहीं है सेठ ने सोचा इस देश में मैंने बहुत धन कमाया है और यह मेरी कर्मभूमि है मुझे इसका मान रखना चाहिए उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई उस व्यक्ति ने कहा मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 100 स्वर्ण मुद्राएं हैं यह सुन सेठ को सौदा तो महंगा लग रहा था लेकिन अपनी कर्मभूमि का मान रखने के लिए उस धनी सेठ ने उसे 100 स्वर्ण मुद्राएं दे दी व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया 

और उससे कहा कि कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट रुककर सोच लेना सेठ ने वह सूत्र अपनी किताब में लिख लिया कई दिनों की यात्रा के बाद रात्रि के समय सेठ अपने नगर को पहुंचा उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूं तो क्यों ना चुपके से बिना खबर दिए सीधे पत्नी के पास पहुंचकर उसे सरप्राइज दूं तो वह बहुत खुश हो जाएगी घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया तो यहां का नजारा देखकर उसके प पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई पलंग पर उसकी पत्नी के साथ एक युवक सोया हुआ था

 यह नजारा देखकर सेठ अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि मैं परदेश में भी इसकी चिंता करता रहा और यह यहां अन्य पुरुष के साथ गुस्से में आकर सेठ ने कहा आज मैं दोनों को जिंदा नहीं छोडूंगा उसने क्रोध में तलवार निकाल ली वार करने ही जा रहा था कि इतने में ही उसे 100 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान सूत्र याद आ गया कि कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट जरूर सोच लेना तब वह सोचने के लिए रुका और अपना तलवार पीछे खींची तो वह तलवार एक बर्तन से टकरा गई बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी वह खुश हो गई और सेठ से कहने लगी आपके बिना जीवन सना सना लग रहा था 

आपके इंतजार में इतने वर्ष मैंने कैसे निकाले यह मैं ही जानती हूं सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को देखकर बहुत क्रोधित था उतने में ही पत्नी ने युवक को उठने के लिए कहा बेटा उठ जाग देख तेरे पिता आए हैं युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम करने झुका तब उसके माथे की पगड़ी पिता के पैरों में गिर गई उसके लंबे बाल बिखर गए तब सेठ की पत्नी ने कहा स्वामी यह आपकी बेटी है पिता के बिना इसके मान को कोई आंच ना आए इसलिए मैंने इसे बचपन से पुत्र के समान ही पालन पोषण और संस्कार दिए हैं यह सुनकर सेठ की आंखों से अश्र धारा बहनी निकली पत्नी और बेटी को गले लगाकर सेठ सोचने लगा

 कि यदि आज मैंने उस ज्ञान सूत्र को नहीं अपनाया होता तो आज मुझसे कितना अनर्थ हो जाता ज्ञान का यह सूत्र उस दिन तो मुझे बेहद महंगा लग रहा था लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो 100 स्वर्ण मुद्राएं भी बहुत कम है दोस्तों ज्ञान तो अनमोल है इस कहानी का सार यह है कि जीवन में जो दुखों से बचाकर सुख की बरसात कर सकते हैं वे हैं क्रोध के दो मिनट है दोस्तों आपके मन मैं भी कभी वीर्य नाश करने मन करें हस्त मैथुन करने का मन करें तो तो इस ज्ञान सूत्र को जरूर याद करें और 2 मिनट के लिए सोचे कि यह मैं क्यों कर रहा हूं 

और इससे मुझे क्या मिलेगा शायद आपको कुछ पॉजिटिव मोटिवेशन  मिले और आप वीर्य नाश करने से बच जाओ आपकी कोई भी बुरी आदत इतनी बड़ी नहीं है कि जिसे आप छोड़ नहीं सकते बस इसे छोड़ने के लिए आपके अंदर एक मजबूत फैसले और दृढ़ आत्मविश्वास की जरूरत होती है दोस्तों हमेशा ऐसा क्यों होता है कि 100 में से सिर्फ 10 लोग ही ब्रह्मचर्य का पालन अच्छी तरह कर पाते हैं क्या कारण है कि 100 में से 10 लोग ही ब्रह्मचर्य का पालन कर पाते हैं जरा सोच कर देखिए दोस्तों दो लड़के हैं दोनों के पास अपना एक शरीर है और हर शरीर अपने साथ वासना लेकर आता है 

लेकिन उसमें से एक वासनाओं के ही अंधकार में डूब जाता है और दूसरा दोस्त  उसी वासना से ऊपर उठकर सूर्य की तरह चमकता है और जिंदगी में बड़ी-बड़ी कामयाबी हासिल करता है तो दोस्तों ऐसा क्यों होता है इसके लिए हमें कुछ जरूरी पॉइंट्स जानने होंगे सबसे पहला पॉइंट है बिग गोल एक ऐसा लक्ष्य जिसका कोई अंत ना हो जिसमें आप अपने आप तक को खो दो आपकी जिंदगी में बेकार के फालतू कामों को करने के लिए वक्त ही ना मिले दोस्तों इतने बिजी हो जाओ कि जो लोग आज आपके बुरे वक्त में आपका साथ नहीं दे रहे उन्हें आपसे मिलने तक को इंतजार करना पड़े दोस्तों मुश्किल हालातों से जूझ करर जो लोग आगे बढ़ते हैं वे मन से इतने मजबूत हो जाते हैं

 कि उन्हें हराना तो दूर उन्हें झुकाना भी नामुमकिन होता है सेकंड पॉइंट है थिंक डिफरेंट ब्रह्मचर्य पालन करने वाला व्यक्ति आज में जीता है और ब्रह्मचर्य नष्ट करने वाला व्यक्ति कल में जीता है दोस्तों यह लाइन तो आपने सुना ही होगा कि जो भी आप सोचते हैं वैसे ही आप एक दिन बन जाते हो अगर कोई इंसान यह मानकर बैठ जाए ना कि सामने वाले के शरीर को मुझे देखना पसंद है तो भाई वह कभी ब्रह्मचर्य पालन कर ही नहीं पाएगा इसके लिए आपको शुरुआत में स्ट्रांग डिसीजन के साथ निश्चय मन से लगातार लगे रहना होगा हमें ब्रह्मचर्य को सर्वप्रथम मानना चाहिए

पॉइंट नंबर थर्ड है भक्ति ऐसा इंसान भगवान की भक्ति में लीन रहता है जिसके कारण उन्हें फालतू के काम नहीं उलझा पाते लेकिन वहीं दूसरी तरफ जो व्यक्ति अपने ब्रह्मचर्य को नष्ट कर रहा है उसके मन में दिन भर क्या-क्या चलता रहता है यह बताने की मुझे जरूरत नहीं है देखो दोस्तों जितना आप भक्ति में लीन हो जाएंगे हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे और अपने मन को हरि के नाम सुमिर में व्यस्त रखेंगे उतना आप मन से मजबूत होते जाएंगे और आप तो जानते ही हैं कि इंसान का सबसे ताकतवर चीज उसका मन ही होता है पॉइंट नंबर चार शरीर की शुद्धि ब्रह्मचर्य में मन और मस्तिष्क एकदम स्थिर हो जाते हैं

 वह अपनी पांचों इंद्रियों को काबू में करना सीख लेते हैं ऐसे लोग सुबह जल्दी उठकर योग प्राणायाम का अभ्यास करते हैं जिससे उनके शरीर के अंदर से सफाई होती है अगर आपकी दिनचर्या में योग प्राणायाम है तो आप आसानी से ब्रह्मचर्य का पालन कर पाएंगे दोस्तों ब्रह्मचर्य एक ऐसी अमूल्य शक्ति है जो कि व्यक्ति के जीवन के हर पक्ष से जुड़ी हुई है ब्रह्मचर्य का पालन करने से किसी एक क्षेत्र में नहीं बल्कि जीवन के हर पक्ष पर प्रभाव पड़ता है मानसिक शारीरिक आध्यात्मिक और सामाजिक सभी प्रकार के लाभ इससे प्राप्त होते हैं 

जो व्यक्ति  ब्रह्मचर्य में स्थित है चरित्रवान है उसकी सफलता निश्चित है और उसके जीवन में सदा आनंद और शांति भी बनी रहेगी हमारा जीवन अभ्यास के आधार पर बनता है हम जिस विषय का अभ्यास निरंतर जीवन में बनाए रखते हैं वह विषय स्वाभाविक ही हमारे जीवन का हिस्सा हो जाता है फिर उस विषय से संबंधित कार्यों को करने के लिए हमें विशेष प्रशिक्षण की भी आवश्यकता नहीं पड़ती और धीरे-धीरे हम उस विषय में निपुण हो जाते हैं हमें जीवन में उन अच्छे कर्मों का अभ्यास करते रहना है जो हमें अंदर से मजबूत करे जिससे हमारे संस्कार शुद्ध होने लगे हमारा खुद के प्रति आत्मविश्वास बढ़े


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