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ब्रह्मचर्य व्यक्ति को हमेशा सावधान रहना चाहिए || A celibate person should always be careful

एक बार की बात है कि महर्षि वेदव्यास अपने आश्रम में युवा ब्रह्मचारी को व्याख्यान दे रहे थे इस व्याख्यान के दौरान वह बता रहे थे कि युवा कर्मचारियों को स्त्रियों से हमेशा सावधान और सतर्क होना चाहिए क्योंकि काम का अवैध बहुत शक्तिशाली होता है अत है किसी भी ब्रह्मचारी के शिकार हो जाने का खतरा है यह सुनकर वहां उपस्थित कर्मचारियों में से एक युवा ब्रह्मचारी जिसका नाम जैमिनी था खड़ा हुआ और बोला गुरुजी आपका कथन गलत है मुझे कोई भी स्त्री अपनी और आकर्षित नहीं कर सकती मैं पूर्ण ब्रह्मचारी हूं वेदव्यास जी बोले जैमिनी तो मैं जल्द ही अनुभव हो जाएगा

 मै अभी कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं मैं 3 महीने बाद लौटूंगा सावधान रहना और अहंकार में आकर अपने अतीत प्रशंसा मत करना कि कुछ दिनों पश्चात एक दिन जैमिनी जंगल से आते हुए पेड़ों के पास से गुजर ही रहा था कि उसे एक व्यक्ति खड़ी दिखाई दी जर्मनी ने जंगल में उस व्यक्ति को ऐसे अकेला देख उसे दया आ गई उसने उसे संबोधित करते हुए का अरे वह देवी जी अगर आप बुरा ना मानें तो मेरे साथ आकर मेरे आश्रम में रह सकती हैं युवती बोली क्या तुम अकेले रहते हो क्या वहां कोई अन्य स्त्री हैं जो मैंने कहा मैं अकेला हूं 

परंतु आप निश्चिंत रहिए देवी मैं पूर्ण ब्रह्मचारी हूं मुझे काम पीड़ित नहीं कर सकता मैं संपूर्ण विकारों से मुक्त हूं आप वहां निशंक रह सकती हैं युवती बोली एक तरुण कुमारी कन्या का एक ब्रह्मचारी के साथ रात्रि में अकेले रहना उचित नहीं है जो मैंने कहा वह देवी बेबी मत हुई मेरा विश्वास कीजिए मेरा ब्रह्मचर्य पूर्ण है मैं शपथ लेता हूं कि आपको कोई हानि नहीं होगी तब युक्ति रात्रि में उसके आश्रम में रहने को सहमत हो गई जैमिनी आश्रम के बाहर और यु टी आश्रम के अंदर सोई लगभग आधी रात के समय जर्मनी के मन हंसना की ललक उठी किंतु उसने इसे उपेक्षित कर दिया इग्नोर कर दिया 

और फिर से सो गया पर इस बार तेज ठंडी हवाएं चलने लगी जैमिनी उठा और दरवाजा खटखटाया और कहा वह देवी पर बहुत ज्यादा ठंडी हवा चल रही है मैंने यह नहीं कर सकता इसलिए मैं अंदर सोना चाहता हूं तो उस युवती ने दरवाजा खोल दिया अब जैमिनी अंदर सो रहा था इस बार फिर उसके मन में एक तीव्र वासना की ललक उठी इस बार क्योंकि है उसके निकट सो रहा था अतः वह उसकी सांसो को चूम रहा था तो उसकी महक को महसूस कर रहा था एक बार फिर उसके मन में वासना की प्रचंड लालसा उठी इस बार वे अपना विवेक खो बैठा और उठकर उस सुंदरी का आलिंगन करने के लिए आगे बढ़ा ही था कि वेदव्यास जी जो कि उनके गुरु जी थे 

उन्होंने अपना असली रूप धारण कर लिया और कहा ओ मेरे प्रिय जैमिनी कहां है तुम्हारा पूर्ण ब्रह्मचर्य क्या तुम अब भी पूर्ण ब्रह्मचर्य में स्थित हो क्या कहा था तुमने जब मैं व्याख्यान दे रहा था जैमिनी ने शर्म से अपना सिर झुका लिया और बोला गुड मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई कृपया मुझे क्षमा कर दीजिए महर्षि वेदव्यास जी ने अपनी योगशक्ति से ही एक सर्वांगपूर्ण सुंदर युवती का रूप धारण किया था जिसके हृदय को भेजने वाले ठीक है नर्म जिसका चेहरा सौंफ में की तरह सामना और मोह तथा जिसका शरीर अति सुंदर वस्त्रों से सुसज्जित था

 यह सुंदर युवती संध्या के समय एक पहाड़ पर एक पेड़ के नीचे जाकर खड़ी हो गई थी अकस्मात बादल इकट्ठे हो गए और वर्षा प्रारंभ हो गई यह लीला थी जो महर्षि वेदव्यास जी ने अपने शिष्यों को परखने के लिए कि यह दृष्टांत हमें बताता है कि जब एक महान इंसान माया के प्रभाव से चला जा सकता है तो हम क्या चीज हैं इसलिए एक ब्रह्मचारी को हमेशा सावधान रहना चाहिए ब्रह्मचर्य से संबंधित अगर इस तरह की कहानियां आप और चाहते हैं तो कृपया कमेंट करके बताइए हुआ है कर दो


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