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ब्रह्मचारी की परीक्षा || Brahmachari's test


 ब्रह्मचारी की परीक्षा एक ब्रह्मचारी की कहानी एक बार की बात है महर्षि वेदव्यास अपने आश्रम में तरुण ब्रह्मचारी हों को व्याख्यान दे रहे थे इस व्याख्यान के दौरान वे बता रहे थे कि तरुण ब्रह्मचार्य को स्त्रियों से हमेशा सावधान और सतर्क रहना चाहिए क्योंकि काम का आवेग बहुत शक्तिशाली होता है अतः किसी भी ब्रह्मचारी के शिकार हो जाने का खतरा है यह सुनकर वहां उपस्थित ब्रह्मचार्य में से एक तरुण ब्रह्मचारी खड़ा हुआ और बोला गुरुजी आपका कथन गलत है मुझे कोई भी स्त्री अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकती मैं पूर्ण ब्रह्मचारी हूं वेदव्यास जी बोले जमिनी

(00:44) तुम्हें जल्द ही अनुभव हो जाएगा मैं अभी कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं मैं तीन महीने में लौटूंगा सावधान रहना और अहंकार में आकर अपनी अति प्रशंसा मत करना महर्षि वेदव्यास ने अपनी योगिक शक्ति से एक ऐसी सर्वांग पूर्ण सुंदर युवती का रूप धारण कर लिया जिसके हृदय को भेदने वाले तीखे नयन जिसका चेहरा सन्य की तरह सुहावना मोहक तथा जिसका शरीर अति सुंदर वस्त्रों से सुसज्जित था यह सुंदर युवती संध्या के समय एक पर्वत पर एक पेड़ के नीचे जाकर खड़ी हो गई अकस्मात बादल इकट्ठे हो गए और वर्षा प्रारंभ हो गई संयोग से उस समय जमिनी भी जंगल से आते हुए पेड़ के पास से ही गुजर

(01:29) रहा था उस युवती को जंगल में ऐसे अकेला देख उसे दया आ गई उसने उसे संबोधित करते हुए कहा अरे देवी जी अगर आप बुरा ना माने तो मेरे साथ आकर मेरे आश्रम में छहर सकती हैं युवती बोली क्या तुम अकेले रहते हो क्या वहां कोई अन्य स्त्री है जेमिनी ने कहा मैं अकेला हूं परंतु आप निश्चिंत रहिए देवी मैं पूर्ण ब्रह्मचारी हूं मुझे कोई भी स्त्री काम पीड़ित नहीं कर सकती मैं संपूर्ण विकारों से मुक्त हूं आप वहां निशंक रह सकती हैं युवती बोली एक तरुण कुमारी कन्या का एक ब्रह्मचारी के साथ रात्रि में अकेले रहना उचित नहीं है जेमिनी ने कहा ओ देवी भय भीत मत होइए मेरा

(02:17) विश्वास कीजिए मेरा ब्रह्मचर्य पूर्ण है मैं शपथ लेता हूं कि आपको कोई हानि नहीं होंगी तब युवती रात्रि में उसके आश्रम में रहने के लिए सहमत हो गई जमिनी आश्रम के बाहर और युवती आश्रम के अंदर सोई लगभग आधी रात के समय जेमिनी के मन में वासना की ललक उठी किंतु उसने इसे उपेक्षित कर दिया और फिर से सो गया इस बार तेज ठंडी-ठंडी हवाएं चलने लगी जेमिनी उठा दरवाजा खटखटाया और कहा ओ देवी बाहर बहुत ज्यादा ठंडी हवाएं चल रही हैं मैं इन्हें सहन नहीं सकता इसलिए मैं अंदर सोना चाहता हूं तो उस युवती ने दरवाजा खोल दिया अब जमिनी अंदर सो रहा था इस बार फिर से उसके मन में एक

(03:05) तीव्र वासना की ललक उठी इस बार क्योंकि वह उसके निकट सो रहा था अतः वह उसकी स्वांसों को सुन रहा था तथा उसकी महक को महसूस कर रहा था एक बार फिर उसके मन में वासना की प्रचंड लालसा उठी इस बार वह अपना विवेक को बैठा और उठकर उस सुंदरी का आलिंगन करने के लिए आगे बढ़ा ही था कि वेदव्यास जी ने अपना असली रूप धारण कर लिया और कहा ओ मेरे प्रिय जमिनी कहां है तुम्हारा पूर्ण ब्रह्मचर्य क्या तुम अब भी पूर्ण ब्रह्मचर्य में स्थित हो क्या कहा था तुमने जब मैं व्याख्यान दे रहा था जमिनी ने शर्म से अपना सिर झुका लिया और बोला गुरुजी मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई कृपया

(03:50) मुझे क्षमा कर दीजिए दोस्तों यह दृष्टांत हमें बताता है कि जब एक महान इंसान माया के प्रभाव से छला जा सकता है तो हम क्या चीज है इसलिए एक ब्रह्मचारी को हमेशा सावधान रहना चाहिए दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया कमेंट करके जरूर बताएं 

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